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Yoga for health in hindi
योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- क्या स्वास्थ्य के लिए योग जरूरी है? मै इस प्रश्न का उत्तर दूं, उससे पहले ही, आप इस बात से ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि, इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय (Theme) रखा गया था ?
- इस वर्ष इसका विषय था-
“Yoga for Health-Yoga at home”
आखिर क्या है योग ?
- मुझे लगता है कि सबसे पहले यही बताना जरूरी है कि, सामान्य भाषा में, आखिर योग है क्या….
- योग शब्द संस्कृत के शब्द “युजा/युजिर” से लिया गया है जिसका मतलब है- “एकजुट होना”I
- मन, भावना और शरीर में सामंजस्य और संतुलन स्थापित करने का माध्यम है- योगI
- शारीरिक,मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुशासन का संयम है योगI
- सही जीवन जीने के तरीके का नाम है योगI
योग और स्वास्थ्य
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने स्वास्थ्य की अपनी परिभाषा में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दिया हैI
- कुछ वर्षों से इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि,आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी इसमें शामिल किया जायेI
- कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि,स्वस्थ होने के साथ -साथ यह भी जरूरी है कि, स्वस्थ महसूस भी किया जायेI
वजन और मोटापा
- अधिक वज़न और मोटापा दोनों ही,मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और ह्रदय रोग के लिए खतरनाक हैI
- योग को मोटापे के नियंत्रण में मददगार पाया गया हैI
- रिसर्च बताते हैं कि, अनुभवी योग प्रशिक्षक के माध्यम से,तीन महीनो के लिए लगातार हर दिन , सुबह एक घंटा, योग आसन और प्राणायाम करने से शरीर का वज़न, बॉडी मास इंडेक्स (B.M.I.) और कमर का बढ़ा हुआ हिस्सा कम होता हैI
- यह देखा गया है की चिंता और तनाव में मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा रहता हैI
- इस समय लार कोर्टिसोल, प्लाज्मा रेनिन और एपिनेफ्रीन का स्तर काफी बढ़ा हुआ होता है , जिसे योग के माध्यम से कम किया जा सकता हैI
उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर)
- एक घंटे प्रतिदिन के लिए नियमित योगाभ्यास, हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी माना गया हैI
- योग के साथ ध्यान (मेंडिटेशन) को भी शामिल कर लें, तो उसका प्रभाव ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली दवाओं के सामान होता हैI
- अध्ययन से पता चलता है कि, अगर प्राणायाम 6 बार /मिनट कि दर से किया जाये तो , इस प्रकार के मरीजों में, ह्रदय गति (Heart-rate) नियंत्रित रहती है, और ब्लड प्रेशर में भी जरूरी कमी आती हैI
मधुमेह (डायबिटीज)
- भारत को दुनिया की मधुमेह राजधानी (Diabetic Capital) के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहाँ पर मधुमेह के सबसे अधिक मामलें हैंI
- योगासन और प्राणायाम के अभ्यास से टाइप-2 डायबिटीज नियंत्रण में मदद मिलती है और यह दवाइयों के साथ किया जाये तो और ज्यादा फायदा मिलता हैI
- लगातार तीन महीनों तक प्रतिदिन, योगासन और प्राणायाम करने से सुगर के स्तर में (खाली पेट और खाना खाने के बाद) काफी सुधार देखा गया हैI
- योग की वजह से इन मरीजों के मस्तिष्क पर भी सकारात्मक और लाभकारी प्रभाव पड़ता हैI
- योग को पारंपरिक चिकित्सा के साथ शामिल किया जाये तो और भी अच्छे परिणाम पाए जा सकते हैंI
लिपिड प्रोफाइल (फैट का स्तर)
- योग के माध्यम से देखा गया है कि कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत ही सामान्य स्तर पर रहता हैI
- कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (L.D.L.), बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (V.L.D.L.), और ट्राई ग्लिसराइड्स (T.G.), जो ह्रदय रोग के लिए खतरनाक हैं, योग करने से इनका स्तर कम होता हैI
- जबकि उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (H.D.L.) जो अच्छा कोलेस्ट्रोल होता है, उसके स्तर को योग, बढ़ाने में मदद करता हैI
- टाइप-2 डायबिटीज रोगियों पर किये गए अध्ययनों में सीरम लिपिड लेवल पर योगासन और प्राणायाम के लाभकारी प्रभाव दिखाई दिए हैंI
- एक वर्ष की अवधि के लिए नियमित रूप से योग करने से ह्रदय की कोरोनरी धमनी ब्लाक वाले रोगियों के लक्षणों, में कमी पाई गयी हैI
- व्यायाम करने की क्षमता में सुधार, और शरीर के वज़न में कमी भी, योग के माध्यम से इस प्रकार के मरीजों में देखी जा सकती हैI
फेफड़ों की परेशानी
- योग करने से फेफड़े के कार्यों और साँस लेने में सहायक मांसपेशियों की ताकत में सुधार होता हैI
- योग-आसन,प्राणायाम और नियमित ध्यान से साँस की बीमारियाँ जैसे दमा, ब्रोंकाइटीस, इत्यादि में काफी सहायता मिलती हैI
- इन रोगों में प्रयोग की जाने वाली दवाओं की मात्रा को कम करने में भी योग का एक महत्वपूर्ण योगदान हैI
मनोचिकित्सा के रूप में योग का मूल्यांकन
- योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बल्कि, मानसिक स्वास्थ्य को भी अधिक महत्वपूर्ण मानता हैI
- योग एक उचित और स्वस्थ जीवन शैली पर बहुत महत्त्व देता हैI
- जब योग नियमित रूप से किया जाता है, तो यह तनाव की स्थिति को दूर करने में मददगार होता हैI
- आजकल मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी, योग को विभिन्न मनोरोगों के विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया हैI
- मानसिक रोगियों के लिए एक विकल्प के तौर पर भी यह एक प्रभावी समाधान हो सकता हैI
- योग चिकित्सकों की संख्या, भारत में उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की संख्या से अधिक हैI
- योग लगत प्रभावी है और इसका कोई साइड-इफ़ेक्ट भी नहीं है जैसा अक्सर अंग्रेजी दवाओं (एलोपैथिक) में देखा गया हैI
चिकित्सा के रूप में योग क्यों नहीं है पहली प्राथमिकता
- योग, अभी भी मनोचिकित्सकों की पहली पसंद नहीं बन पाया है,उसकी भी अपनी वजह हैI
- अस्पताल के उपचार की मांग करने वाले, मानसिक रूप से बीमार लोगों के बीच योग व्यापक रूप से लोकप्रिय नहीं हैI
- इनके कारण कई हैं, जैसे वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी,योग में समय भी लगता है, और रिसर्च भी ज्यादा नहीं हुए हैं,जो योग की प्रमाणिकता को प्रभावी तरीके से सिद्ध कर सकेI
- इस दिशा में अभी बहुत काम करने की जरूरत है, तभी हम योग को चिकित्सीय विकल्प के रूप में अपना सकते हैंI
- मनोरोग संबंधी बीमारियों के लिए विशेष प्रकार के योग केवल कुछ केन्द्रों में किये जाते हैं और बड़े केन्द्रों पर गंभीर और लाइलाज बीमारियों का इलाज किया जाता हैI
- इन संस्थानों पर योग को सम्मिलित करने की जरूरत है,भले ही वो एक विकल्प के तौर पर क्यों ना होI
- योग की उत्पत्ति भारत में हुई हैI यह एक स्वदेशी तकनीक है, लेकिन अपने देश से भी ज्यादा, यह विदेशों में लोकप्रिय हैI
- विकसित देशों में योग की व्यापक लोकप्रियता यह बताती है कि, यह अधिकांश व्यक्तियों के लिए स्वीकार्य हैI
चिकित्सा के रूप में योग के नकारात्मक प्रभाव
- योग को आमतौर पर एक सुरक्षित और प्रभावशाली व्यायाम के रूप में देखा जाता हैI
- लेकिन व्यायाम के किसी भी अन्य रूप की तरह, जब योग को भी अनुचित तरीके से अभ्यास किया जाता है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैI
- योग अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिएI यह महत्वपूर्ण है कि शुरुवात में सही तरीके से योग करें,गलत शैली से योग का अभ्यास नहीं करना चाहिएI
- गंभीर मानसिक बीमारियों में योग का अभ्यास हानिकारक हो सकता हैI अगर करना भी है तो किसी के मार्गदर्शन में ही शुरू करेंI
- योग को हमेशा खाली पेट करना चाहिएI भोजन के 4-5 घंटे बाद योग का अभ्यास करने का सुझाव दिया जाता हैI
- योग करते समय हलके कपड़े का उपयोग करना चाहिएI आराम के मूड में योगाभ्यास करना सबसे अच्छा होता हैI
- बहुत ज्यादा तनाव की स्थिति में योग नहीं करना चाहिएI ना समझ में आये, तो योग चिकित्सकों से परामर्श करना बहुत जरूरी हैI
- योग का अभ्यास करने के लिए सही प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिएI
- अनुचित तरीके से योग करने से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैंI
- उन रोगियों को योग से बचना चाहिए,जो ह्रदय रोग ,उच्च रक्तचाप,पुरानी हड्डियों का दर्द,रीढ़ की समस्या, कान की दिक्कतें या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैंI
- ऐसी स्थिति में योग बिना किसी दिशा -निर्देश के नहीं करना चाहिएI
- योगासनों को कठिन कामों के बाद नहीं किया जाना चाहिएI
- योग का अभ्यास करने के लिए कड़ी मेहनत के बाद कम से कम आधे घंटे का अंतराल रखना चाहिएI
- गर्दन,कंधे, रीढ़,पैर और मांसपेशियों में अधिक खिंचाव,योग के दौरान होना सामान्य बात हैI
- गर्भावस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिएI गर्भवती महिलाओं को अनुभवी योग चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही योग करना चाहिएI
- बच्चों और युवाओं में, अपने दैनिक जीवन में अनुभव होने वाले तनाव और सम्बंधित चुनौतियों से निपटने के लिए योग एक अच्छा विकल्प हैI
- भटके हुए ध्यान को शांत और केन्द्रित रहने के लिए ,योग बहुत ही बड़ा सहारा बन सकता हैI
- आज की दुनिया में जन्म लेने वाले बच्चे तनाव और इकी कमजोरियों’ के शिकार होते हैंI
- आज के इस बदलते समय में, जब यह पता ही नहीं है कि आगे क्या करना है , योग और भी प्रासंगिक हो जाता हैI
- दैनिक जीवन के तरीके के रूप में योग को अपनाना अत्यधिक लाभदायक होगाI